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तुम्हारी गाय कैसी है ?

Socialist Point
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वैसे तो एक ऐसे परिवार से हू जहा एक दो गाय हमेशा खूटे पर बधी ही रहती है जिनकी  घर पर कोई ख़ास ज़रूरत भी नही होती पर उनके घास भूसे का पूरा इंतज़ाम करना पड़ता है | थोडा बहुत दूध भी देती है पर वो घर की ज़रूरतो को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होती है और बूढ़ी हो जाने पर हम उसे खरीदने वाले के ना काटने  के कितने आश्‍वाशन  देने पर भी नही बेचते क्योकि पता होता है की ए केवल काटने के लिए जा सकती है और इस बूढ़ी गाय का कोई क्या करेगा |  उसके मरने के बाद नयी गाय लाने के बारे मे फिर नही सोचते | यह घर की आख़िरी गाय होती है  और सच भी है इस उपभोक्ता वाद के युग मे गाय को मुफ़्त मे बाँध कर खिलाने से क्या फ़ायदा | आज उनकी जगह भैसे ले चुकी है जो की घर की ज़रूरत भर का दूध भी देती है और छोटे मोटे खर्च भी  दूध बेच कर निकल जाते है |

जब बाहर शहरो मे निकला तो ऐसी गाय देखी जो सड़क के किनारे कचरे के ढेर से कुछ ख़ाती हुई मिलती है प्लास्टिक के टुकड़ो मे फेके हुए जुठे भोजन मे कुछ तलाशती रहती है पर गलियो मे दुकानो पर , मंदिरो मे एक डिब्बा रखा हुआ मिलता है जिसमे गाय की खूबसूरत तस्वीर होती है और गौर रक्षा संकल्प का वाक्य | वो तस्वीर उतनी गंदी नही होतो जितनी कचरे खाने वाली असली गाय , मैं तो आज तक वैसी तस्वीर वाली खूबसूरत गाय ढूढ़ता हू | उस डिब्बे का पैसा किसी बड़े गौशाले मे जाता है जिसमे गाय कम गौ सेवक जादा होते है |

हमारे समाज मे गौ सेवा के नाम पर अक्सर कुछ लोग को भावनाए भड़क जाती है पर गायो की दुर्गति पर उनको कभी भी दुख नही होता | क्या हिदुस्तान मे कोई एक ऐसा शहर है जहा पर गाय कचरे के सामने न मिले ?

गाय को माता और पवित्र क्यो माना गया इसका व्यवहारिक उत्तर तो मुझे नही मिलता पर गौदान जैसी परंपरा जो की अभी कुछ जगह पर प्रचलित है से पता चलता है की यह एक दान की वस्तु है और पवित्र बनाने वाला ही इसको दान मे लेने वाला है हालाकी वही गाय गाव पार करके चंद कीमत मे बेच दी जाती है पर देने वाले का क्या उनका तो कर्म सिध हो जाता है पर एक सवाल मन मे उठता है ही अगर गाय माता हुई तो इसको दान क्यू किया जाता है क्या माता को दान करना शास्‍तरसंगत है ?

गाय से जितना फ़ायदा हमारे पुर्वजो ने लिया उससे कही अधिक उपयोग राजनीति मे हो रहा है राजनीति ज़रूरी है पर गाय जैसे दुर्बल और कमजोर पर कतई नही इससे ना गौ रक्षा होगी ना धर्म की, होगा तो बस इंसानियत का खून |  खून करने वाला व्यक्ति किसी मज़हब का हो और खूनी किसी और मज़हब का ,  पर  मरने वाला इंसान होगा |

अगर गाय को लेकर भावनाओ के साथ ऐसा खेल होता रहा तो ये जल्द ही एक विलुप्त प्रजाति बन जाएगी आने वाला कल गाय को  केवल दो जगह पर पाया जाएगा या तो दान बॉक्स पर या फिर राजनेताओ की ज़ुबान पर |

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